शुद्धद्रव्यार्थिक नय: Difference between revisions
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<span class="GRef">आलापपद्धति/5</span> <span class="SanskritText">कर्मोपाधिनिरपेक्ष: शुद्धद्रव्यार्थिको यथा संसारी जीवो सिद्धसदृक् शुद्धात्मा।</span>=<span class="HindiText">’संसारी जीव सिद्ध के समान शुद्धात्मा है’ ऐसा कहना कर्मोपाधिनिरपेक्ष '''शुद्धद्रव्यार्थिक नय''' है।</span><br /> | |||
<span class="GRef"> नयचक्र / श्रुतभवन दीपक/ पृष्ठ 3</span><span class="SanskritText"> मिथ्यात्वादिगुणस्थाने सिद्धत्वं वदति स्फुटं। कर्मभिर्निरपेक्षो य: शुद्धद्रव्यार्थिको हि स:।1।</span> =<span class="HindiText">मिथ्यात्वादि गुणस्थानों में अर्थात् अशुद्ध भावों में स्थित जीव का जो सिद्धत्व कहता है वह कर्मनिरपेक्ष '''शुद्धद्रव्यार्थिक नय''' है।</span><br /> | |||
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[[ | <p class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ नय#IV.2.6 | नय - IV.2.6 ]]।</p> | ||
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Latest revision as of 14:32, 2 March 2024
आलापपद्धति/5 कर्मोपाधिनिरपेक्ष: शुद्धद्रव्यार्थिको यथा संसारी जीवो सिद्धसदृक् शुद्धात्मा।=’संसारी जीव सिद्ध के समान शुद्धात्मा है’ ऐसा कहना कर्मोपाधिनिरपेक्ष शुद्धद्रव्यार्थिक नय है।
नयचक्र / श्रुतभवन दीपक/ पृष्ठ 3 मिथ्यात्वादिगुणस्थाने सिद्धत्वं वदति स्फुटं। कर्मभिर्निरपेक्षो य: शुद्धद्रव्यार्थिको हि स:।1। =मिथ्यात्वादि गुणस्थानों में अर्थात् अशुद्ध भावों में स्थित जीव का जो सिद्धत्व कहता है वह कर्मनिरपेक्ष शुद्धद्रव्यार्थिक नय है।
अधिक जानकारी के लिये देखें नय - IV.2.6 ।