संस्तव: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/7/23/364/11 </span><span class="SanskritText"> मनसा ... ज्ञानचारित्रगुणोद्भावनं प्रशंसा, भूताभूतगुोद्भाववचनं संस्तवः । </span>= <span class="HindiText">ज्ञान और चारित्र का मन से उद्भावन करना प्रशंसा है, और ... जो गुण हैं या जो गुण नहीं है इन दोनों का सद्भाव बतलाते हुए कथन करना संस्तव है । | <span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/7/23/364/11 </span><span class="SanskritText"> मनसा ... ज्ञानचारित्रगुणोद्भावनं प्रशंसा, भूताभूतगुोद्भाववचनं संस्तवः । </span>= <span class="HindiText">ज्ञान और चारित्र का मन से उद्भावन करना प्रशंसा है, और ... जो गुण हैं या जो गुण नहीं है इन दोनों का सद्भाव बतलाते हुए कथन करना '''संस्तव''' है । | ||
<span class="GRef">( राजवार्तिक/7/23/1/552/12 )</span> </span><br /><span class="HindiText">अधिक जानकारी के लिए देखें [[ भक्ति#3 | भक्ति - 3]]। | <span class="GRef">( राजवार्तिक/7/23/1/552/12 )</span> </span><br /><span class="HindiText">अधिक जानकारी के लिए देखें [[ भक्ति#3 | भक्ति - 3]]। | ||
Latest revision as of 17:19, 18 February 2024
सर्वार्थसिद्धि/7/23/364/11 मनसा ... ज्ञानचारित्रगुणोद्भावनं प्रशंसा, भूताभूतगुोद्भाववचनं संस्तवः । = ज्ञान और चारित्र का मन से उद्भावन करना प्रशंसा है, और ... जो गुण हैं या जो गुण नहीं है इन दोनों का सद्भाव बतलाते हुए कथन करना संस्तव है ।
( राजवार्तिक/7/23/1/552/12 )
अधिक जानकारी के लिए देखें भक्ति - 3।