व्यवहारदर्शन: Difference between revisions
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<p> तत्त्वार्थ का शंका आदि दोषों से रहित तथा नि:शकादि गुणों से सहित श्रद्धान व्यवहार-सम्यग्दर्शन कहलाता है । <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.3 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> तत्त्वार्थ का शंका आदि दोषों से रहित तथा नि:शकादि गुणों से सहित श्रद्धान व्यवहार-सम्यग्दर्शन कहलाता है । <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.3 </span></p> | ||
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Revision as of 16:58, 14 November 2020
तत्त्वार्थ का शंका आदि दोषों से रहित तथा नि:शकादि गुणों से सहित श्रद्धान व्यवहार-सम्यग्दर्शन कहलाता है । वीरवर्द्धमान चरित्र 18.3