वायुभूति
From जैनकोष
ह.पु./४३/श्लोक - मगधदेश शालिगा्रम सोमदेव ब्राह्मण का पुत्र था।१००। मुनियों द्वारा अपने पूर्व भव का वृत्तन्त सुन रुष्ट हुआ। रात्रि को मुनिहत्या को निकला पर यक्ष द्वारा कील दिया गया। मुनिराज ने दयापूर्वक छुड़वा दिया, तब अणुव्रत धारण किया और मरकर सौधर्म स्वर्ग में उपजा। (१३६-१४६)। यह कृष्ण के पुत्र शम्ब के पूर्व का छठा भव है। - दे.शंब।