संचेतन
From जैनकोष
समयसार / आत्मख्याति/ क.224 पं.जयचन्द - किसी के प्रति एकाग्र होकर उसका ही अनुभव रूप स्वाद लिया करना उसका संचेतन कहलाता है।
समयसार / आत्मख्याति/ क.224 पं.जयचन्द - किसी के प्रति एकाग्र होकर उसका ही अनुभव रूप स्वाद लिया करना उसका संचेतन कहलाता है।