असिद्ध
From जैनकोष
सिद्धेतर जीव (संसारी जीव) । ये जीव तीन प्रकार के होते हैं—असंयत, संयतासंयत और संयत । इनमें असंयत जीव आरंभ के चार गुणस्थान में होते हैं, संयतासंयत पंचम गुणस्थान में और संयत छठे से चौदहवें गुणस्थान तक रहते हैं । हरिवंशपुराण 3. 72-78