अपायविचय
From जैनकोष
धर्म-ध्यान के दस भेदों में प्रथम भेद । अपाय का अर्थ त्याग है, और विचय का अर्थ मीमांसा है । मन, वचन और काय इन तीन योगों की प्रवृत्ति ही संसार का कारण है, अत: इन प्रवृत्तियों का किस प्रकार त्याग हो और जीव संसार से कैसे मुक्त हो ऐसा शुभ लेश्या से अनुरंजित चिंतन अपाय-विचय है । महापुराण 21.141 हरिवंशपुराण - 56.37-40 देखें धर्मध्यान