जटासिंहनंदि: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
m (Vikasnd moved page जटासिंहनन्दि to जटासिंहनंदि: RemoveFifthCharsTitles) |
(No difference)
|
Revision as of 15:19, 19 August 2020
जटासिंहनन्दि का दूसरा नाम जटाचार्य भी था। आपके सर पर अवश्य ही लम्बी लम्बी जटाएँ रही होगी, जिससे कि इनका नाम जटासिंह पड़ा था। आप ‘कोषण’ देश के रहने वाले थे। वहाँ ‘पल्लव’ नाम की ‘गुण्डु’ नामकी पहाड़ी पर आपके चरण बने हुए हैं। आप अपने समय में बहुत प्रसिद्ध विरागी थे। इसीलिए आपका स्मरण जिनसेन नयसेन आदि, अनेकों प्राचीन आचार्यों ने किया है। कृति–वराङ्ग चारित्र। समय–कवि भारवी (ई.श.7) के पश्चात् और उद्योतन सूरि (ई.श.9) के पूर्व। अत: ई.श.7-8 के मध्य। (ती./2/292-294)।