तम: Difference between revisions
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स.सि./५/२४/२९६/८ <span class="SanskritText">तमो दृष्टिप्रतिबन्धकारणं प्रकाशविरोधि।</span> =<span class="HindiText">जिससे दृष्टि में प्रतिबन्ध होता और जो प्रकाश का विरोधी है वह तम कहलाता है।</span> (रा.वा./५/२४/१५/४८९/७); (त.सा./३/६८/१६१); (द्र.सं./१६/५३/११)। रा.वा./५/२४/१/४८५/१४ <span class="SanskritText">पूर्वोपात्ताशुभकर्मोदयात् ताम्यति आत्मा, तभ्यतेऽनेन, तमनमात्रं वा तम:। </span><span class="HindiText">पूर्वोपात्त अशुभकर्म के उदय से जो स्वरूप को अन्धकारवृत करता है या जिसके द्वारा किया जाता है, या तमन मात्र को तम कहते हैं।</span> | |||
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Revision as of 15:17, 25 December 2013
स.सि./५/२४/२९६/८ तमो दृष्टिप्रतिबन्धकारणं प्रकाशविरोधि। =जिससे दृष्टि में प्रतिबन्ध होता और जो प्रकाश का विरोधी है वह तम कहलाता है। (रा.वा./५/२४/१५/४८९/७); (त.सा./३/६८/१६१); (द्र.सं./१६/५३/११)। रा.वा./५/२४/१/४८५/१४ पूर्वोपात्ताशुभकर्मोदयात् ताम्यति आत्मा, तभ्यतेऽनेन, तमनमात्रं वा तम:। पूर्वोपात्त अशुभकर्म के उदय से जो स्वरूप को अन्धकारवृत करता है या जिसके द्वारा किया जाता है, या तमन मात्र को तम कहते हैं।