तीर्थंकर परिचय सारणी page-392
From जैनकोष
- विदेहक्षेत्रस्थ तीर्थंकरों का परिचय
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१. जयसेन प्रतिष्ठा पाठ/५४५-५६४ |
१. त्रि.सा./६८१ २. म.पु./७६/४९६३.जयसेन प्रतिष्ठा पाठ/५६५ |
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१. नाम |
२. चिह्न |
३. नगरी |
४. पिता |
५. माता |
६. विदेहस्थ तीर्थंकरों की संख्या |
१ |
सीमन्धर |
ऋषभ |
पुण्डरीकणी |
हंस |
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सित्थद्धसयलचक्की सट्ठिसयं पुहवरेण अवरेण। बीसं बीसं सयले खेत्ते सत्तरिसयं वरदो।६८१। |
२ |
युगमन्धर |
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श्री रुह |
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३ |
बाहु |
हरिण |
सुसीमा |
सुग्रीव |
विजया |
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४ |
सुबाहु |
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अबध्यदेश |
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सनन्दा |
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५ |
संजात |
सूर्य |
अलकापुरी |
देवसेन |
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६ |
स्वयंप्रभ |
चन्द्रमा |
मंगला |
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७ |
ऋषभानन |
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सुसीमा |
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वीरसेना |
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८ |
अनन्तवीर्य |
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९ |
सूरिप्रभ |
ऋषभ |
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१० |
विशालप्रभ |
इन्द्र |
पुण्डरीकणी |
वीर्य |
विजया |
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११ |
वज्रधर |
शंख |
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पद्मरथ |
सरस्वती |
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१२ |
चन्द्रानन |
गो |
पुण्डरीकणी |
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दयावती |
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१३ |
चन्द्रबाहू |
कमल |
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रेणुका |
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१४ |
भुजंगम |
चन्द्रमा |
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महाबल |
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१५ |
ईश्वर |
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सुसीमा |
गलसेन |
ज्वाला |
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१६ |
नेमिप्रभ |
सूर्य |
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१७ |
वीरसेन |
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पुण्डरीकणी |
भूमिपाल |
वीरसेना |
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१८ |
महाभद्र |
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विजया |
देवराज |
उमा |
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१९ |
देवयश |
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सुसीमा |
स्तवभूति |
गंगा |
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२० |
अजितवीर्य |
कमल |
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कनक |
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