दुर्गंधा: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
पा.पु./24/श्लोक–सुबन्धी नामक वैश्य की पुत्री थी (24-25)। इसके स्वाभाविक दुर्गन्ध के कारण इसका पति जिनदत्त इसे छोड़कर भाग गया (42-44)। पीछे आर्यिकाओं को आहार दिया तथा उनसे दीक्षा धारण कर ली (64-67)। घोर तपकर अन्त में अच्युत स्वर्ग में देव हुई (68-71)। यह द्रौपदी का पूर्व का दूसरा भव है।–देखें [[ द्रौपदी ]]। | |||
<noinclude> | |||
[[दुर्ग | | [[ दुर्ग | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[Category:द]] | [[ दुर्गगिरि | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: द]] |
Revision as of 21:42, 5 July 2020
पा.पु./24/श्लोक–सुबन्धी नामक वैश्य की पुत्री थी (24-25)। इसके स्वाभाविक दुर्गन्ध के कारण इसका पति जिनदत्त इसे छोड़कर भाग गया (42-44)। पीछे आर्यिकाओं को आहार दिया तथा उनसे दीक्षा धारण कर ली (64-67)। घोर तपकर अन्त में अच्युत स्वर्ग में देव हुई (68-71)। यह द्रौपदी का पूर्व का दूसरा भव है।–देखें द्रौपदी ।