धर्मसेन: Difference between revisions
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<li class="HindiText"> श्रुतावतार के अनुसार आप भद्रबाहु प्रथम के पश्चात् ११वें एकादशांग पूर्वधारी थे। समय‒वी०नि०३२९-३४५ (ई०पू०२९८-१८२) दृष्टि नं.३ की अपेक्षा वी.नि.३८९-४०५‒ देखें - [[ इतिहास#4.4 | इतिहास / ४ / ४ ]]। </li> | |||
<li class="HindiText"> श्रवणबेलगोला के शिलालेख नं०७ के अनुसार आप श्रीबालचन्द्र के गुरु थे। समय‒वि.७३२ (ई.६७५) भ.आ./प्र.१९/प्रेमीजी)। </li> | |||
<li class="HindiText"> लाड़बागड़ संघ की गुर्वावली के अनुसार आप श्रीशान्तिसेन के गुरु थे। समय‒वि.९५५ (ई.८९८)‒ देखें - [[ इतिहास#7.10 | इतिहास / ७ / १० ]]</li> | |||
<li class="HindiText"><strong>(</strong>वरांग चरित/सर्ग/श्लोक)। उत्तमपुर के भोजवंशीय राजा थे। (१/४६)। वरांगकुमार के पिता थे। (२/२)। वरांग को युवराजपद दे दिया तब दूसरे पुत्र ने छलपूर्वक वरांग को वहा से गायब कर दिया। इस पर आप बहुत दु:खी हुए।(२०/७)। | |||
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Revision as of 17:15, 25 December 2013
- श्रुतावतार के अनुसार आप भद्रबाहु प्रथम के पश्चात् ११वें एकादशांग पूर्वधारी थे। समय‒वी०नि०३२९-३४५ (ई०पू०२९८-१८२) दृष्टि नं.३ की अपेक्षा वी.नि.३८९-४०५‒ देखें - इतिहास / ४ / ४ ।
- श्रवणबेलगोला के शिलालेख नं०७ के अनुसार आप श्रीबालचन्द्र के गुरु थे। समय‒वि.७३२ (ई.६७५) भ.आ./प्र.१९/प्रेमीजी)।
- लाड़बागड़ संघ की गुर्वावली के अनुसार आप श्रीशान्तिसेन के गुरु थे। समय‒वि.९५५ (ई.८९८)‒ देखें - इतिहास / ७ / १०
- (वरांग चरित/सर्ग/श्लोक)। उत्तमपुर के भोजवंशीय राजा थे। (१/४६)। वरांगकुमार के पिता थे। (२/२)। वरांग को युवराजपद दे दिया तब दूसरे पुत्र ने छलपूर्वक वरांग को वहा से गायब कर दिया। इस पर आप बहुत दु:खी हुए।(२०/७)।