परमेश्वर तत्त्व: Difference between revisions
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<p> ज्ञानार्णव/29/7/285 <span class="SanskritGatha"> | <p> ज्ञानार्णव/29/7/285 <span class="SanskritGatha">नाभिस्कंधाद्विनिष्क्रांतं हृत्पद्मोदरमध्यगम्। द्वादशांते सुविश्रांतं तज्ज्ञेयं परमेश्वरम्। 7।</span> = <span class="HindiText">जो नाभिस्कंध से निकाला हुआ तथा हृदय कमल में से होकर द्वादशांत (तालुरंध्र) में विश्रांत हुआ (ठहरा हुआ) पवन है, उसे परमेश्वर जानो क्योंकि यह पवन का स्वामी है। 7। </span></p> | ||
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Revision as of 16:28, 19 August 2020
ज्ञानार्णव/29/7/285 नाभिस्कंधाद्विनिष्क्रांतं हृत्पद्मोदरमध्यगम्। द्वादशांते सुविश्रांतं तज्ज्ञेयं परमेश्वरम्। 7। = जो नाभिस्कंध से निकाला हुआ तथा हृदय कमल में से होकर द्वादशांत (तालुरंध्र) में विश्रांत हुआ (ठहरा हुआ) पवन है, उसे परमेश्वर जानो क्योंकि यह पवन का स्वामी है। 7।