बहुश्रुत भक्ति: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> अनेक शास्त्रों के ज्ञाता आचार्य और उपाध्याय परमेष्ठी में तथा आगम में, मन, वचन और कार्य से भावों को शुद्धतापूर्वक श्रद्धा रखना । <span class="GRef"> महापुराण 63. 327, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 34.141 </span></p> | |||
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Revision as of 14:14, 5 January 2023
सिद्धांतकोष से
देखें भक्ति - 2.1
पुराणकोष से
अनेक शास्त्रों के ज्ञाता आचार्य और उपाध्याय परमेष्ठी में तथा आगम में, मन, वचन और कार्य से भावों को शुद्धतापूर्वक श्रद्धा रखना । महापुराण 63. 327, हरिवंशपुराण 34.141