राजमल्ल: Difference between revisions
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<li> मगध देश के | <li> मगध देश के विराट् नगर में बादशाह अकबर के समय में कविवर राजमल्ल का निवास था। काष्ठासंघी भट्टारक आम्नाय के पण्डित थे। इसी से इन्हें ‘पं. बनारसीदास जी ने पाण्डे’ कहा है। क्षेमकीर्ति की आम्नाय में भारु नाम का वैश्य था। उसके चार पुत्र थे यथा - दूदा, ठाकुर, जागसी, तिलोक। दूदा के तीन पुत्र थे −न्यौता, भोल्हा और फामन। फामन एक समय विराट् नगर में आया वहाँ एक ताल्हू नाम जैन विद्वान् से जो हेमचन्द्राचार्य की आम्नाय का था, कुछ धर्म की शिक्षा प्राप्त की। फिर वह कविराज के पास आया और इन्होंने उसकी प्रेरणा से लाटी संहिता लिखी। इसके अतिरिक्त समयसार की अमृतचन्द्राचार्यकृत टीका के ऊपर सुगम हिन्दी वचनिका, पंचास्तिकाय टीका, पंचाध्यायी, जम्बूस्वामी चरित्र, पिंगल, अध्यात्म कमलमार्तण्ड की रचना की। समय−वि. 1632-1650 (ई. 1575-1593); (ती./4/77)। <br /> | ||
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<li> आप गंगवंशीय राजा थे। राजा मारसिंह के उत्तराधिकारी थे। चामुण्डराय जी आप ही के मन्त्री थे। आप आचार्य सिंहनन्दि व आचार्य अजितसेन दोनों के शिष्य रहे हैं। आपका समय प्रेमी जी के अनुसार वि. सं. | <li> आप गंगवंशीय राजा थे। राजा मारसिंह के उत्तराधिकारी थे। चामुण्डराय जी आप ही के मन्त्री थे। आप आचार्य सिंहनन्दि व आचार्य अजितसेन दोनों के शिष्य रहे हैं। आपका समय प्रेमी जी के अनुसार वि. सं. 1031-1040 अर्थात् ई. 974-983 निश्चित है। (बाहुबलि चरित्र/श्लोक 6, 11); (जै./1/395)। </li> | ||
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Revision as of 21:46, 5 July 2020
- मगध देश के विराट् नगर में बादशाह अकबर के समय में कविवर राजमल्ल का निवास था। काष्ठासंघी भट्टारक आम्नाय के पण्डित थे। इसी से इन्हें ‘पं. बनारसीदास जी ने पाण्डे’ कहा है। क्षेमकीर्ति की आम्नाय में भारु नाम का वैश्य था। उसके चार पुत्र थे यथा - दूदा, ठाकुर, जागसी, तिलोक। दूदा के तीन पुत्र थे −न्यौता, भोल्हा और फामन। फामन एक समय विराट् नगर में आया वहाँ एक ताल्हू नाम जैन विद्वान् से जो हेमचन्द्राचार्य की आम्नाय का था, कुछ धर्म की शिक्षा प्राप्त की। फिर वह कविराज के पास आया और इन्होंने उसकी प्रेरणा से लाटी संहिता लिखी। इसके अतिरिक्त समयसार की अमृतचन्द्राचार्यकृत टीका के ऊपर सुगम हिन्दी वचनिका, पंचास्तिकाय टीका, पंचाध्यायी, जम्बूस्वामी चरित्र, पिंगल, अध्यात्म कमलमार्तण्ड की रचना की। समय−वि. 1632-1650 (ई. 1575-1593); (ती./4/77)।
- आप गंगवंशीय राजा थे। राजा मारसिंह के उत्तराधिकारी थे। चामुण्डराय जी आप ही के मन्त्री थे। आप आचार्य सिंहनन्दि व आचार्य अजितसेन दोनों के शिष्य रहे हैं। आपका समय प्रेमी जी के अनुसार वि. सं. 1031-1040 अर्थात् ई. 974-983 निश्चित है। (बाहुबलि चरित्र/श्लोक 6, 11); (जै./1/395)।