वादिचंद्र
From जैनकोष
नन्दिसंघ बलात्कारगण की सूरत शाखा में प्रभा चन्द्र के शिष्य और महीचन्द्र के गुरु। कृतियें - पार्श्वपुराण, श्रीपाल आख्यान, ज्ञान सूर्योदय नाटक, सुभगसुलोचना चरित्र, पवनदूत। समय-वि.१६३७-१६६४ (ई.१५८०-१६०७)। (दे. इतिहास/७/४), (ती./४/७१), (जै./१/४७६)।