सिद्धांतकोष से
कार्तिकेयानुप्रेक्षा टीका/186/123/1
निषादर्षभगांधारषड्जमध्यमधैवता:। पंचमश्चैति सप्तैते तंत्रीकंठोत्थिता: स्वरा:।1। कंठदेशे स्थित: षड्ज: शिर:स्थ ऋषभस्तथा। एक स्वर - देखें स्वर ।
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पुराणकोष से
संगीत के सप्त स्वरों में एक स्वर । पद्मपुराण 17.277, हरिवंशपुराण 19. 153 देखें स्वर
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