सचित्त योनि: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
देखें [[ योनि ]]। | <span class="GRef"> (सर्वार्थसिद्धि/2/32/187-188/10) </span><span class="SanskritText"> आत्मनश्चैतन्यविशेषपरिणामश्चित्तम् । सह चित्तेन वर्तत इति सचित्त:।</span>= <span class="HindiText">आत्मा के चैतन्य विशेष रूप परिणाम को चित्त कहते हैं । जो उसके साथ रहता है वह सचित्त कहलाता है ।अधिक जानकारी के लिए देखें [[ योनि ]]। | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 8: | Line 8: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: स]] | [[Category: स]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Revision as of 22:24, 20 December 2022
(सर्वार्थसिद्धि/2/32/187-188/10) आत्मनश्चैतन्यविशेषपरिणामश्चित्तम् । सह चित्तेन वर्तत इति सचित्त:।= आत्मा के चैतन्य विशेष रूप परिणाम को चित्त कहते हैं । जो उसके साथ रहता है वह सचित्त कहलाता है ।अधिक जानकारी के लिए देखें योनि ।