सम्यगनेकांत: Difference between revisions
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देखें [[ अनेकांत#1 | अनेकांत - 1]]। | <span class="GRef">राजवार्तिक अध्याय 1/6,7/35/36</span> <p class="SanskritText">एकत्र सप्रतिपक्षानेकधर्मस्वरूपनिरूपणो युक्त्यागमाभ्यामविरुद्धः सम्यगनेकांतः।</p> <p class="HindiText">= युक्ति व आगम से अविरुद्ध एक ही स्थान पर प्रतिपक्षी अनेक धर्मों के स्वरूप का निरूपण करना सम्यगनेकांत है।</p> | ||
<p class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ अनेकांत#1 | अनेकांत - 1]]।</p> | |||
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Latest revision as of 11:19, 20 February 2024
राजवार्तिक अध्याय 1/6,7/35/36
एकत्र सप्रतिपक्षानेकधर्मस्वरूपनिरूपणो युक्त्यागमाभ्यामविरुद्धः सम्यगनेकांतः।
= युक्ति व आगम से अविरुद्ध एक ही स्थान पर प्रतिपक्षी अनेक धर्मों के स्वरूप का निरूपण करना सम्यगनेकांत है।
अधिक जानकारी के लिये देखें अनेकांत - 1।