साधारण
From जैनकोष
१. साधारणत्व का लक्षण
स.भं.त./७८/६ अनेकव्यक्तिवृत्तित्वमेव हि साधारणत्वम् । = अनेक व्यक्तियों में अनुगतरूप से होने वाला वृत्तित्व ही साधारणत्व है। (विशेष देखें - सामान्य )।
२. साधारणासाधारण शक्ति
स.सा./आ./परि./शक्ति नं.२६ स्वपरसमानासमानसमानासमानत्रिविधभावधारणात्मिका साधारणासाधारणसाधारणासाधारणधर्मत्वशक्ति:।=स्व व पर के समान, असमान और समानासमान ऐसे तीन प्रकार के भावों की धारणास्वरूप साधारण, असाधारण और साधारणासाधारण धर्मत्व शक्ति है।
३. साधारण व असाधारण हेत्वाभास
श्लो.वा./४/भाषाकार/१/३३/न्या./२७३/४२५/१३,१८ य: सपक्षे विपक्षे च भवेत् साधारणस्तु स:।... यस्तूभयस्माद्वयावृत्त: स त्वसाधारणो मत:। =व्यभिचारी हेत्वाभास तीन प्रकार का है-साधारण, असाधारण और अनुपसंहारी। तहाँ जो हेतु सपक्ष व विपक्ष दोनों में रह जाता है वह साधारण है, और जो हेतु सपक्ष और विपक्ष दोनों में नहीं ठहरता वह असाधारण है।
४. अन्य सम्बन्धित विषय
- साधारण व असाधारण गुण, निमित्त व पारिणामिक भाव-दे.वह वह नाम।
- वसतिका का एक दोष-देखें - वसतिका।
- साधारण नामकर्म व साधारण वनस्पति- देखें - वनस्पति / ४ ।