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<span class="HindiText">Width ( जंबूद्वीपपण्णत्तिसंगहो/ प्र.109)। 2. (Diameter or radius व्यास या बाण ?)। 3. सूची निकालने की प्रक्रिया।-देखें [[ गणित#II.7 | गणित - II.7]]।</span> </p> | <span class="HindiText">Width (<span class="GRef"> जंबूद्वीपपण्णत्तिसंगहो/ </span>प्र.109)। 2. (Diameter or radius व्यास या बाण ?)। 3. सूची निकालने की प्रक्रिया।-देखें [[ गणित#II.7 | गणित - II.7]]।</span> </p> | ||
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<span class="PrakritText">अंगुलवग्गमूले विक्खंभसूई हवदि। तं किं भूदमिति वुत्ते विदियवग्गमूलगुणणेण उवलक्खियं।</span> =<span class="HindiText"> सूच्यंगुल के प्रथम वर्गमूल में (अर्थात् सूच्यंगुल का आश्रय लेकर विष्कंभसूची होती है। वह सूच्यंगुल का प्रथम वर्गमूल किस रूप है, ऐसा पूछने पर आचार्य कहते हैं कि सूच्यंगुल के द्वितीय वर्गमूल के गुणाकार से उपलक्षित है। अर्थात् सूच्यंगुल के प्रथम वर्गमूल को उसी के द्वितीय वर्गमूल से गुणित कर देने पर सामान्य नारक मिथ्यादृष्टियों की विष्कंभ सूची होती है। उदाहरण-सूच्यंगुल 2×2; | </span><span class="PrakritText">अंगुलवग्गमूले विक्खंभसूई हवदि। तं किं भूदमिति वुत्ते विदियवग्गमूलगुणणेण उवलक्खियं।</span> =<span class="HindiText"> सूच्यंगुल के प्रथम वर्गमूल में (अर्थात् सूच्यंगुल का आश्रय लेकर विष्कंभसूची होती है। वह सूच्यंगुल का प्रथम वर्गमूल किस रूप है, ऐसा पूछने पर आचार्य कहते हैं कि सूच्यंगुल के द्वितीय वर्गमूल के गुणाकार से उपलक्षित है। अर्थात् सूच्यंगुल के प्रथम वर्गमूल को उसी के द्वितीय वर्गमूल से गुणित कर देने पर सामान्य नारक मिथ्यादृष्टियों की विष्कंभ सूची होती है। उदाहरण-सूच्यंगुल 2×2; | ||
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[[File:1047903413clip_image002.gif ]]<span class="HindiText">विष्कंभ सूची 2; सूच्यंगुल का वर्गमूल 2; | [[File:1047903413clip_image002.gif ]]<span class="HindiText">विष्कंभ सूची 2; सूच्यंगुल का वर्गमूल 2; |
Revision as of 13:02, 14 October 2020
Width ( जंबूद्वीपपण्णत्तिसंगहो/ प्र.109)। 2. (Diameter or radius व्यास या बाण ?)। 3. सूची निकालने की प्रक्रिया।-देखें गणित - II.7।
4. धवला 3/1,2,17/133/5 अंगुलवग्गमूले विक्खंभसूई हवदि। तं किं भूदमिति वुत्ते विदियवग्गमूलगुणणेण उवलक्खियं। = सूच्यंगुल के प्रथम वर्गमूल में (अर्थात् सूच्यंगुल का आश्रय लेकर विष्कंभसूची होती है। वह सूच्यंगुल का प्रथम वर्गमूल किस रूप है, ऐसा पूछने पर आचार्य कहते हैं कि सूच्यंगुल के द्वितीय वर्गमूल के गुणाकार से उपलक्षित है। अर्थात् सूच्यंगुल के प्रथम वर्गमूल को उसी के द्वितीय वर्गमूल से गुणित कर देने पर सामान्य नारक मिथ्यादृष्टियों की विष्कंभ सूची होती है। उदाहरण-सूच्यंगुल 2×2; विष्कंभ सूची 2; सूच्यंगुल का वर्गमूल 2; सूच्यंगुल का द्वितीय वर्गमूल 2; विष्कंभसूची।