रविवार व्रत: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
No edit summary |
||
(3 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
आषाढ़ शुक्ल पक्ष के अंतिम रविवार से प्रारंभ होता है । आगे श्रावण व भाद्रपद के आठ रविवार । इस प्रकार 9 वर्ष तक प्रतिवर्ष इन 9 रविवारों का उपवास करे । यदि थोड़े समय में करना है तो आषाढ़ के अंतिम रविवार से लेकर अगले आषाढ़ के अंतिम रविवार तक एक वर्ष के 48 रविवारों के उपवास करे । नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप करे । (व्रत - विधान सं./44)। | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 8: | Line 8: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: र]] | [[Category: र]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] | |||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Latest revision as of 16:27, 16 November 2022
आषाढ़ शुक्ल पक्ष के अंतिम रविवार से प्रारंभ होता है । आगे श्रावण व भाद्रपद के आठ रविवार । इस प्रकार 9 वर्ष तक प्रतिवर्ष इन 9 रविवारों का उपवास करे । यदि थोड़े समय में करना है तो आषाढ़ के अंतिम रविवार से लेकर अगले आषाढ़ के अंतिम रविवार तक एक वर्ष के 48 रविवारों के उपवास करे । नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप करे । (व्रत - विधान सं./44)।