चूर्णोपजीवन: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="HindiText">वस्तिका का एक दोष</span><br> | |||
<span class="GRef"> भगवती आराधना / विजयोदया टीका 230/444/6 </span><span class="SanskritText">उत्पादनदोषा निरूप्यंते - .....विद्यया, मंत्रेण, चूर्ण प्रयोगेण वा गृहिणं वशे स्थापयित्वा लब्धा । ..... । उत्पादनाख्योऽभिहितो दोषः षोडशप्रकारः ।</span> | |||
<span class="HindiText">..... विद्या, मंत्र अथवा चूर्ण प्रयोग से गृहस्थ को अपने वशकर वसतिका की प्राप्ति कर लेना '''विद्यादि''' दोष हैं ।.... </span><br> | |||
[[ | <span class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ वस्तिका ]]</span>। | ||
[[Category:च]] | <noinclude> | ||
[[ चूर्णी | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ चूला | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: च]] | |||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Latest revision as of 13:09, 30 June 2023
वस्तिका का एक दोष
भगवती आराधना / विजयोदया टीका 230/444/6 उत्पादनदोषा निरूप्यंते - .....विद्यया, मंत्रेण, चूर्ण प्रयोगेण वा गृहिणं वशे स्थापयित्वा लब्धा । ..... । उत्पादनाख्योऽभिहितो दोषः षोडशप्रकारः ।
..... विद्या, मंत्र अथवा चूर्ण प्रयोग से गृहस्थ को अपने वशकर वसतिका की प्राप्ति कर लेना विद्यादि दोष हैं ।....
अधिक जानकारी के लिये देखें वस्तिका ।