काँचनकूट: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> (1) सीता-सीतोदा नदियों के तटों पर स्थित इस नाम के दस पर्वत । इन पर्वतों की ऊँचाई सौ योजन, विस्तार मूल में सौ योजन, मध्य में पचहत्तर योजन और अग्रभाग में पचास योजन है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.200-201 </span></br><span class="HindiText">(2) रुचकगिरि की पूर्व दिशा में स्थित आठ कूटों में दूसरा कूट । यह वैजयंती देवी की निवासभूमि है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.704-705 </span></br><span class="HindiText">(3) सौमनस पर्वत का एक कूट । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.221 </span></span></p> | <span class="HindiText"> (1) सीता-सीतोदा नदियों के तटों पर स्थित इस नाम के दस पर्वत । इन पर्वतों की ऊँचाई सौ योजन, विस्तार मूल में सौ योजन, मध्य में पचहत्तर योजन और अग्रभाग में पचास योजन है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#200|हरिवंशपुराण - 5.200-201]] </span></br><span class="HindiText">(2) रुचकगिरि की पूर्व दिशा में स्थित आठ कूटों में दूसरा कूट । यह वैजयंती देवी की निवासभूमि है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#704|हरिवंशपुराण - 5.704-705]] </span></br><span class="HindiText">(3) सौमनस पर्वत का एक कूट । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#221|हरिवंशपुराण - 5.221]] </span></span></p> | ||
Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
(1) सीता-सीतोदा नदियों के तटों पर स्थित इस नाम के दस पर्वत । इन पर्वतों की ऊँचाई सौ योजन, विस्तार मूल में सौ योजन, मध्य में पचहत्तर योजन और अग्रभाग में पचास योजन है । हरिवंशपुराण - 5.200-201(2) रुचकगिरि की पूर्व दिशा में स्थित आठ कूटों में दूसरा कूट । यह वैजयंती देवी की निवासभूमि है । हरिवंशपुराण - 5.704-705
(3) सौमनस पर्वत का एक कूट । हरिवंशपुराण - 5.221