धूलिसाल: Difference between revisions
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<p> समवसरण के बाहरी भाग में रत्नों को धूलि से निर्मित वलयाकार एक परकोटा । | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> समवसरण के बाहरी भाग में रत्नों को धूलि से निर्मित वलयाकार एक परकोटा । रत्न-धूलि के वर्णों के अनुसार यह कही काला, कही पीला, कही मूँगे के समान लाल, कही हरित वर्ण का होता है । इसके बाहर चारों दिशाओं में स्वर्णमय स्तंभों के अग्रभाग पर अवलंबित चार तोरणद्वार होते हैं । ऊँचे-ऊँच मानस्तंभ इन्हीं के भीतर निर्मित किये जाते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 22.81-92, 33. 160 </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 14.71 -74 </span></p> | ||
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समवसरण के बाहरी भाग में रत्नों को धूलि से निर्मित वलयाकार एक परकोटा । रत्न-धूलि के वर्णों के अनुसार यह कही काला, कही पीला, कही मूँगे के समान लाल, कही हरित वर्ण का होता है । इसके बाहर चारों दिशाओं में स्वर्णमय स्तंभों के अग्रभाग पर अवलंबित चार तोरणद्वार होते हैं । ऊँचे-ऊँच मानस्तंभ इन्हीं के भीतर निर्मित किये जाते हैं । महापुराण 22.81-92, 33. 160 वीरवर्द्धमान चरित्र 14.71 -74