प्रवीचार: Difference between revisions
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<p> मैथुन । ज्योतिषी, भवनवासी, | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> मैथुन । ज्योतिषी, भवनवासी, व्यंतर और सौधर्म तथा ऐशान स्वर्ग के देव काय से, सानत्कुमार और माहेंद्र स्वर्ग के देव स्पर्श मात्र से, ब्रह्म-ब्रह्मोत्तर, लांतव और कापिष्ट स्वयं के देव रूपमात्र से, शुक्र, महाशुक्र, शतार और सहस्रार स्वर्ग के देव शब्द से तथा आनत, प्राणत, आरण और अच्युत स्वर्ग के देव मन से प्रवीचार करते हैं । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_3#162|हरिवंशपुराण - 3.162-166]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
मैथुन । ज्योतिषी, भवनवासी, व्यंतर और सौधर्म तथा ऐशान स्वर्ग के देव काय से, सानत्कुमार और माहेंद्र स्वर्ग के देव स्पर्श मात्र से, ब्रह्म-ब्रह्मोत्तर, लांतव और कापिष्ट स्वयं के देव रूपमात्र से, शुक्र, महाशुक्र, शतार और सहस्रार स्वर्ग के देव शब्द से तथा आनत, प्राणत, आरण और अच्युत स्वर्ग के देव मन से प्रवीचार करते हैं । हरिवंशपुराण - 3.162-166