श्रुतज्ञानव्रत: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> कर्मनाशक एक तप । इसमें एक सौ अट्ठावन उपवास और इतनी ही पारणाएँ की जाती है । इस प्रकार संपूर्ण व्रत में तीन सौ सोलह दिन लगते हैं । इसका मुख्यफल केवलज्ञान और गौणफल स्वर्ग आदि की प्राप्ति है । <span class="GRef"> महापुराण 6.142, 145-950, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 34.97 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> कर्मनाशक एक तप । इसमें एक सौ अट्ठावन उपवास और इतनी ही पारणाएँ की जाती है । इस प्रकार संपूर्ण व्रत में तीन सौ सोलह दिन लगते हैं । इसका मुख्यफल केवलज्ञान और गौणफल स्वर्ग आदि की प्राप्ति है । <span class="GRef"> महापुराण 6.142, 145-950, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_34#97|हरिवंशपुराण - 34.97]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
कर्मनाशक एक तप । इसमें एक सौ अट्ठावन उपवास और इतनी ही पारणाएँ की जाती है । इस प्रकार संपूर्ण व्रत में तीन सौ सोलह दिन लगते हैं । इसका मुख्यफल केवलज्ञान और गौणफल स्वर्ग आदि की प्राप्ति है । महापुराण 6.142, 145-950, हरिवंशपुराण - 34.97