वलाहक-: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p id="1"> (1) एक पर्वत । यह राजगृही के पाँच पर्वतों में चौथा पर्वत है । इसका आकार डोरी सहित धनुष के समान है । <span class="GRef"> पद्मपुराण 8.24, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 4.55 </span>देखें [[ राजगृह ]]</p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) एक पर्वत । यह राजगृही के पाँच पर्वतों में चौथा पर्वत है । इसका आकार डोरी सहित धनुष के समान है । <span class="GRef"> पद्मपुराण 8.24, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 4.55 </span>देखें [[ राजगृह ]]</p> | ||
<p id="2">(2) कृष्ण के सेनापति अनावृष्टि के शंख का नाम । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 51. 20-21 </span></p> | <p id="2">(2) कृष्ण के सेनापति अनावृष्टि के शंख का नाम । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 51. 20-21 </span></p> | ||
<p id="3">(3) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का अट्ठावनवाँ नगर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22. 91 </span></p> | <p id="3">(3) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का अट्ठावनवाँ नगर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22. 91 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:57, 14 November 2020
(1) एक पर्वत । यह राजगृही के पाँच पर्वतों में चौथा पर्वत है । इसका आकार डोरी सहित धनुष के समान है । पद्मपुराण 8.24, हरिवंशपुराण 4.55 देखें राजगृह
(2) कृष्ण के सेनापति अनावृष्टि के शंख का नाम । हरिवंशपुराण 51. 20-21
(3) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का अट्ठावनवाँ नगर । हरिवंशपुराण 22. 91