समयसार - आत्मख्याति टीका - कलश 47: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 14: | Line 14: | ||
* [[ आचार्य कुंद्कुंद]] | * [[ आचार्य कुंद्कुंद]] | ||
* [[ आचार्य अमृतचंद्र]] | * [[ आचार्य अमृतचंद्र]] | ||
Latest revision as of 14:54, 10 December 2013
( मालिनी )
परपरिणतिमुज्झत् खण्डयद्भेदवादा-
निदमुदितमखण्डं ज्ञानमुच्चण्डमुच्चै: ।
ननु कथमवकाश: कर्तृकर्मप्रवृत्ते-
रिह भवति कथं वा पौद्गल: कर्मबन्ध: ॥४७॥