विमोह: Difference between revisions
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नियमसार / तात्पर्यवृत्ति/51 विमोहः शाक्यादिप्रोक्ते वस्तुनि निश्चयः। = शाक्य आदि (बुद्ध आदि) कथित वस्तु में निश्चय करना विमोह है।
द्रव्यसंग्रह टीका/42/180/8 परस्परसापेक्षनयद्वयेन द्रव्यगुणपर्यायादिपरिज्ञानाभावो विमोहः तत्र दृष्टांतः–गच्छत्तणर्स्पशवद्दिग्मोहवद्धा। = गमन करते हुए मनुष्य को जैसे पैरों में तृण (घास) आदि का स्पर्श होता है और उसको स्पष्ट मालूम नहीं होता कि क्या लगा अथवा जैसे जंगल में दिशा का भूल जाना होता है, उसी प्रकार परस्पर सापेक्ष द्रव्यार्थिक पर्यायार्थिक नयों के अनुसार जो द्रव्य, गुण और पर्यायों आदि का नहीं जानना है, उसको विमोह कहते हैं।