अप्रतिघाती: Difference between revisions
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<span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/2/40/193/9 </span><span class="SanskritText">स नास्त्यनयोरित्यप्रतिघाते: सूक्ष्मपरिणामात् । अय:पिंडे तेजोऽनुप्रवेशवत्तैजसकार्मणयोर्नास्ति वज्रपटलादिषु व्याघात:।</span> =<span class="HindiText"> इन दोनों (कार्मण व तैजस) शरीरों का इस प्रकार का प्रतिघात नहीं होता इसलिए वे प्रतिघात रहित हैं। जिस प्रकार सूक्ष्म होने से अग्नि (लोहे के गोले में) प्रवेश कर जाती है उसी प्रकार तैजस और कार्मण शरीर का वज्रपटलादिक में भी व्याघात नहीं होता। | <span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/2/40/193/9 </span><span class="SanskritText">स नास्त्यनयोरित्यप्रतिघाते: सूक्ष्मपरिणामात् । अय:पिंडे तेजोऽनुप्रवेशवत्तैजसकार्मणयोर्नास्ति वज्रपटलादिषु व्याघात:।</span> =<span class="HindiText"> इन दोनों (कार्मण व तैजस) शरीरों का इस प्रकार का प्रतिघात नहीं होता इसलिए वे प्रतिघात रहित हैं। जिस प्रकार सूक्ष्म होने से अग्नि (लोहे के गोले में) प्रवेश कर जाती है उसी प्रकार तैजस और कार्मण शरीर का वज्रपटलादिक में भी व्याघात नहीं होता। <span class="GRef">( राजवार्तिक/2/40/149/6 )</span>।</span></p> | ||
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<span class="GRef"> राजवार्तिक/5/15/5/458/14 </span><span class="SanskritText">कथं सशरीरस्यात्मनोऽप्रतिघातत्वमिति चेत् दृष्टत्वात् । दृश्यते हि बालाग्रकोटिमात्रछिद्ररहिते घनबहलायसभित्तितले वज्रमयकपाटे बहि: समंतात् वज्रलेपलिप्ते अपवरके देवदत्तस्य मृतस्य मूर्तिमज्ज्ञानावरणादिकर्मतैजसकार्मणशरीरसंबंधित्वेऽपि गृहमभित्वैव निर्गमनम्, तथा सूक्ष्मनिगोदानामप्यप्रतिघातित्वं वेदितव्यम् ।</span> =<span class="HindiText"><strong> प्रश्न</strong>-शरीर सहित आत्मा के अप्रतिघातपना कैसे है ? <strong>उत्तर</strong>-यह बात अनुभव सिद्ध है। निश्छिद्र लोहे के मकान से, जिसमें वज्र के किवाड़ लगे हों और वज्रलेप भी जिसमें किया गया हो, मर कर जीव कार्मणशरीर के साथ निकल जाता है। यह कार्मण शरीर मूर्तिमान् ज्ञानावरणादि कर्मों का पिंड है। तैजस् शरीर भी इसके साथ सदा रहता है। मरण काल में इन दोनों शरीरों के साथ जीव वज्रमय कमरे से निकल जाता है। और कमरे में छेद नहीं होता। इस तरह सूक्ष्म निगोद जीवों का शरीर भी अप्रतिघाती है।</span></p> | <span class="GRef"> राजवार्तिक/5/15/5/458/14 </span><span class="SanskritText">कथं सशरीरस्यात्मनोऽप्रतिघातत्वमिति चेत् दृष्टत्वात् । दृश्यते हि बालाग्रकोटिमात्रछिद्ररहिते घनबहलायसभित्तितले वज्रमयकपाटे बहि: समंतात् वज्रलेपलिप्ते अपवरके देवदत्तस्य मृतस्य मूर्तिमज्ज्ञानावरणादिकर्मतैजसकार्मणशरीरसंबंधित्वेऽपि गृहमभित्वैव निर्गमनम्, तथा सूक्ष्मनिगोदानामप्यप्रतिघातित्वं वेदितव्यम् ।</span> =<span class="HindiText"><strong> प्रश्न</strong>-शरीर सहित आत्मा के अप्रतिघातपना कैसे है ? <strong>उत्तर</strong>-यह बात अनुभव सिद्ध है। निश्छिद्र लोहे के मकान से, जिसमें वज्र के किवाड़ लगे हों और वज्रलेप भी जिसमें किया गया हो, मर कर जीव कार्मणशरीर के साथ निकल जाता है। यह कार्मण शरीर मूर्तिमान् ज्ञानावरणादि कर्मों का पिंड है। तैजस् शरीर भी इसके साथ सदा रहता है। मरण काल में इन दोनों शरीरों के साथ जीव वज्रमय कमरे से निकल जाता है। और कमरे में छेद नहीं होता। इस तरह सूक्ष्म निगोद जीवों का शरीर भी अप्रतिघाती है।</span></p> |
Latest revision as of 22:15, 17 November 2023
सर्वार्थसिद्धि/2/40/193/9 स नास्त्यनयोरित्यप्रतिघाते: सूक्ष्मपरिणामात् । अय:पिंडे तेजोऽनुप्रवेशवत्तैजसकार्मणयोर्नास्ति वज्रपटलादिषु व्याघात:। = इन दोनों (कार्मण व तैजस) शरीरों का इस प्रकार का प्रतिघात नहीं होता इसलिए वे प्रतिघात रहित हैं। जिस प्रकार सूक्ष्म होने से अग्नि (लोहे के गोले में) प्रवेश कर जाती है उसी प्रकार तैजस और कार्मण शरीर का वज्रपटलादिक में भी व्याघात नहीं होता। ( राजवार्तिक/2/40/149/6 )।
राजवार्तिक/5/15/5/458/14 कथं सशरीरस्यात्मनोऽप्रतिघातत्वमिति चेत् दृष्टत्वात् । दृश्यते हि बालाग्रकोटिमात्रछिद्ररहिते घनबहलायसभित्तितले वज्रमयकपाटे बहि: समंतात् वज्रलेपलिप्ते अपवरके देवदत्तस्य मृतस्य मूर्तिमज्ज्ञानावरणादिकर्मतैजसकार्मणशरीरसंबंधित्वेऽपि गृहमभित्वैव निर्गमनम्, तथा सूक्ष्मनिगोदानामप्यप्रतिघातित्वं वेदितव्यम् । = प्रश्न-शरीर सहित आत्मा के अप्रतिघातपना कैसे है ? उत्तर-यह बात अनुभव सिद्ध है। निश्छिद्र लोहे के मकान से, जिसमें वज्र के किवाड़ लगे हों और वज्रलेप भी जिसमें किया गया हो, मर कर जीव कार्मणशरीर के साथ निकल जाता है। यह कार्मण शरीर मूर्तिमान् ज्ञानावरणादि कर्मों का पिंड है। तैजस् शरीर भी इसके साथ सदा रहता है। मरण काल में इन दोनों शरीरों के साथ जीव वज्रमय कमरे से निकल जाता है। और कमरे में छेद नहीं होता। इस तरह सूक्ष्म निगोद जीवों का शरीर भी अप्रतिघाती है।
सूक्ष्म पदार्थों का अप्रतिघातीपना।-देखें सूक्ष्म - 1।