आतम अनुभव आवै जब निज: Difference between revisions
From जैनकोष
(New page: '''(राग गौरी)''' <br> आतम अनुभव आवै जब निज, आतम अनुभव आवै ।<br> और कछू न सुहावै, जब नि...) |
No edit summary |
||
(2 intermediate revisions by one other user not shown) | |||
Line 6: | Line 6: | ||
गोष्ठी कथा कुतुहल विघटै, पुद्गलप्रीति नसावै ।।२ ।।<br> | गोष्ठी कथा कुतुहल विघटै, पुद्गलप्रीति नसावै ।।२ ।।<br> | ||
राग-दोष जुग चपल पक्षजुत, मन पक्षी मर जावै ।।३ ।।<br> | राग-दोष जुग चपल पक्षजुत, मन पक्षी मर जावै ।।३ ।।<br> | ||
ज्ञानानन्द सुधारस, उधमै, | ज्ञानानन्द सुधारस, उधमै, घट अंतर न समावे ।।४ ।।<br> | ||
`भागचन्द' ऐसे अनुभव के, हाथ जोरि सिर नावै ।।५ ।।<br> | `भागचन्द' ऐसे अनुभव के, हाथ जोरि सिर नावै ।।५ ।।<br> | ||
<br> | <br> | ||
Line 13: | Line 13: | ||
[[Category:Bhajan]] | [[Category:Bhajan]] | ||
[[Category:भागचन्दजी]] | [[Category:भागचन्दजी]] | ||
[[Category:आध्यात्मिक भक्ति]] | |||
[[Category:आध्यात्मिक भक्ति]] |
Latest revision as of 22:31, 13 September 2024
(राग गौरी)
आतम अनुभव आवै जब निज, आतम अनुभव आवै ।
और कछू न सुहावै, जब निज आतम आतम अनुभव आवै ।।टेक ।।
रस नीरस हो जात ततच्छिन, अक्ष विषय नहीं भावै ।।१ ।।
गोष्ठी कथा कुतुहल विघटै, पुद्गलप्रीति नसावै ।।२ ।।
राग-दोष जुग चपल पक्षजुत, मन पक्षी मर जावै ।।३ ।।
ज्ञानानन्द सुधारस, उधमै, घट अंतर न समावे ।।४ ।।
`भागचन्द' ऐसे अनुभव के, हाथ जोरि सिर नावै ।।५ ।।