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<div class="HindiText"> वसुदेव का वैरी । यह वसुदेव को हरकर आकाश में ले गया था । वसुदेव ने इसे मुक्कों से इतना अधिक पीटा था कि मार से दु:खी होकर इसे वसुदेव को आकाश में ही छोड़ देना पड़ा था । वसुदेव आकाश से गोदावरी के कुंड में गिरा था । इसके पूर्व भी अश्व का रूप धारण करके यह वसुदेव को हर ले गया था तथा उसे इसने आकाश से नीचे गिराया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 30. 42, 31. 1-2 </span></p> | <div class="HindiText"> वसुदेव का वैरी । यह वसुदेव को हरकर आकाश में ले गया था । वसुदेव ने इसे मुक्कों से इतना अधिक पीटा था कि मार से दु:खी होकर इसे वसुदेव को आकाश में ही छोड़ देना पड़ा था । वसुदेव आकाश से गोदावरी के कुंड में गिरा था । इसके पूर्व भी अश्व का रूप धारण करके यह वसुदेव को हर ले गया था तथा उसे इसने आकाश से नीचे गिराया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_30#42|हरिवंशपुराण - 30.42]], 31. 1-2 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
वसुदेव का वैरी । यह वसुदेव को हरकर आकाश में ले गया था । वसुदेव ने इसे मुक्कों से इतना अधिक पीटा था कि मार से दु:खी होकर इसे वसुदेव को आकाश में ही छोड़ देना पड़ा था । वसुदेव आकाश से गोदावरी के कुंड में गिरा था । इसके पूर्व भी अश्व का रूप धारण करके यह वसुदेव को हर ले गया था तथा उसे इसने आकाश से नीचे गिराया था । हरिवंशपुराण - 30.42, 31. 1-2