प्रतिश्रुति: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p class="HindiText"> प्रथम कुलकर एवं मनु । इनकी आयु पल्य का दसवाँ भाग और ऊँचाई एक हजार आठ सौ धनुष थी । सूर्य और चंद्रमा को देखने से उत्पन्न लोगों के भय को इन्होंने दूर किया था । इनका अपरनाम प्रतिश्रुत था । <span class="GRef"> <span class="GRef"> महापुराण 3.63-73, </span> </span><span class="GRef"> <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_3#75|पद्मपुराण - 3.75-76]], </span> </span><span class="GRef"> <span class="GRef"> पांडवपुराण 2.105 </span>, </span>द्वितीय कुलकर सन्मति इनके पुत्र थे । सन्मति के होते ही इन्होंने स्वर्ग प्राप्त किया । <span class="GRef"> <span class="GRef"> महापुराण 3.63-73, </span> </span><span class="GRef"> <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_3#75|पद्मपुराण - 3.75-76]], </span> </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_7#125|हरिवंशपुराण - 7.125-149]] </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 2.105 </span></p> | |||
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Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
महापुराण/3/63-69
प्रथम कुलकर थे । सूर्य, चंद्रमा को देखकर भयभीत हुए लोगों के भय को इन्होंने दूर किया था । विशेष देखें शलाका पुरुष ।
पुराणकोष से
प्रथम कुलकर एवं मनु । इनकी आयु पल्य का दसवाँ भाग और ऊँचाई एक हजार आठ सौ धनुष थी । सूर्य और चंद्रमा को देखने से उत्पन्न लोगों के भय को इन्होंने दूर किया था । इनका अपरनाम प्रतिश्रुत था । महापुराण 3.63-73, पद्मपुराण - 3.75-76, पांडवपुराण 2.105 , द्वितीय कुलकर सन्मति इनके पुत्र थे । सन्मति के होते ही इन्होंने स्वर्ग प्राप्त किया । महापुराण 3.63-73, पद्मपुराण - 3.75-76, हरिवंशपुराण - 7.125-149 पांडवपुराण 2.105