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| <p> कल्पातीत देव । ये देव नौ ग्रैवेयक, नौ अनुदिश और पाँच अनुत्तर विमानों में रहते हैं । ये देव ‘‘मैं ही इन्द्र हूँ’’ ऐसा मानने वाले और असूया, परनिन्दा, आत्मश्लाघा तथा मत्सर से दूर रहते हुए केवल सुखमय जीवन बिताते हैं । इनकी आयु बाईस से लेकर तैंतीस सागर प्रमाण तक की होती है । ये महाद्युतिमान्, समचतुरस्रसंस्थान, विकियाऋद्धिधारी अवधिज्ञानी, निष्प्रविचारी । (मैथुन रहित) और शुभ लेश्याओं वाले होते हैं । महापुराण 11. 141-146, 153-155,161, 218, पद्मपुराण 105.170, हरिवंशपुराण 3.150-151 </p>
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| [[Category: पुराण-कोष]]
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| [[Category: अ]]
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