|
|
(5 intermediate revisions by 2 users not shown) |
Line 1: |
Line 1: |
| <p id="1"> (1) एक चूर्ण । इसे वैष्णवदत्त की पुत्री सुरमंजरी ने बनाया था । यह चूर्ण वातावरण को तत्काल सुगन्धि से व्याप्त कर देता था । महापुराण 75.350-357</p>
| |
| <p id="3">(3) एक पर्वत । इसी पर्वत पर कुमार जीवन्धर ने वनक्रीडा की थी । यहीं एक मरणासन्न कुत्ते को नमस्कार मंत्र सुनाकर जीवन्धर ने उसे यक्ष-गति प्राप्त करायी थी । महापुराण 75.359-365</p>
| |
| <p id="3">(3) विनीता नगरी के राजा सुप्रभ और प्रह्लादना का पुत्र । यह सूर्योदय का सहोदर था । यह वृषभदेव के साथ दीक्षित हुआ था किन्तु मुनिपद से भ्रष्ट होकर यह मरीचि का शिष्य हो गया । मरकर यह नाग नगर में राजा हरिपति की रानी मनोलूता से कुलकर नामक पुत्र हुआ । पद्मपुराण 85.45-51</p>
| |
|
| |
|
| |
|
| <noinclude>
| | #REDIRECT [[चंद्रोदय]] |
| [[ चन्द्रिणी | पूर्व पृष्ठ ]] | |
| | |
| [[ चन्द्रोदर | अगला पृष्ठ ]]
| |
| | |
| </noinclude>
| |
| [[Category: पुराण-कोष]]
| |
| [[Category: च]]
| |