विराधित: Difference between revisions
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<p> एक विद्याधर । यह राजा | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> एक विद्याधर । यह राजा चंद्रोदर और रानी अनुराधा का पुत्र था । इसके पिता अलंकारपुर नगर के नृप थे । खरदूषण ने उन्हें नगर से निकाल दिया था । गर्भावस्था में ही इसकी माँ अनुराधा वन-वन भटकती रही । उसने मणिकांत पर्वत की एक समशिला पर इसे जन्म दिया था । गर्भ में ही शत्रु द्वारा विराधित किये जाने से इसका ‘‘विराथित’’ नाम प्रसिद्ध हुआ । यह राम का योद्धा था । इसने रावण के पक्ष के विश्व नामक योद्धा के साथ युद्ध किया था । लंका विजय के बाद राम ने इस श्रीपुर नगर का राजा बनाया था । राम के दीक्षित होने पर विभीषण, सुग्रीव, नल, नील, चंद्रनख और कव्य के साथ इसने भी दीक्षा धारण कर ली थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_9#37|पद्मपुराण - 9.37-44]],[[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_9#58|पद्मपुराण - 9.58]].15-17, 62.36, 88.39, 119.39 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
पद्मपुराण/ सर्ग/श्लो.
-चंद्रोदर का पुत्र था। युद्ध में राम का सर्वप्रथम सहायक था। (9)। अंत में दीक्षित हो गया। (119/39)।
पुराणकोष से
एक विद्याधर । यह राजा चंद्रोदर और रानी अनुराधा का पुत्र था । इसके पिता अलंकारपुर नगर के नृप थे । खरदूषण ने उन्हें नगर से निकाल दिया था । गर्भावस्था में ही इसकी माँ अनुराधा वन-वन भटकती रही । उसने मणिकांत पर्वत की एक समशिला पर इसे जन्म दिया था । गर्भ में ही शत्रु द्वारा विराधित किये जाने से इसका ‘‘विराथित’’ नाम प्रसिद्ध हुआ । यह राम का योद्धा था । इसने रावण के पक्ष के विश्व नामक योद्धा के साथ युद्ध किया था । लंका विजय के बाद राम ने इस श्रीपुर नगर का राजा बनाया था । राम के दीक्षित होने पर विभीषण, सुग्रीव, नल, नील, चंद्रनख और कव्य के साथ इसने भी दीक्षा धारण कर ली थी । पद्मपुराण - 9.37-44,पद्मपुराण - 9.58.15-17, 62.36, 88.39, 119.39