दूरापकृष्टि: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
No edit summary |
||
(2 intermediate revisions by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<ol> | <ol> | ||
<li><strong class="HindiText"> दूरापकृष्टि सामान्य व लक्षण</strong> <br> | <li><strong class="HindiText"> दूरापकृष्टि सामान्य व लक्षण</strong> <br> | ||
ला.सा./जी.प्र./120/161/9 <span class="SanskritText">पल्ये उत्कृष्टसंख्यातेन भक्ते यल्लब्धं तस्मादेकैकहान्या जघन्यपरिमितासंख्यातेन भक्ते पल्ये यल्लब्धं तस्मादेकोत्तरवृद्धया | ला.सा./जी.प्र./120/161/9 <span class="SanskritText">पल्ये उत्कृष्टसंख्यातेन भक्ते यल्लब्धं तस्मादेकैकहान्या जघन्यपरिमितासंख्यातेन भक्ते पल्ये यल्लब्धं तस्मादेकोत्तरवृद्धया यावंतो विकल्पास्तावंतो दूरापकृष्टिभेदा:। </span>=<span class="HindiText">पल्य को उत्कृष्ट असंख्यात का भाग दिये जो प्रमाण आवै तातै एक एक घटता क्रम करि पल्यकौ जघन्य परीतासंख्यात का भाग दिये जो प्रमाण आवै तहाँ पर्यंत एक-एक वृद्धि के द्वारा जितने विकल्प हैं, ते सब दूरापकृष्टि के भेद हैं। </span></li> | ||
<li class="HindiText"><strong> दूरापकृष्टि स्थिति | <li class="HindiText"><strong> दूरापकृष्टि स्थिति बंध का लक्षण</strong> <br> | ||
<span class="GRef"> क्षपणासार/ </span>भाषा/419/500/15 पल्य/असं.मात्र स्थितिबंध को दूरापकृष्टि नाम स्थितिबंध कहिये।</li> | |||
</ol> | </ol> | ||
<p> </p> | <p> </p> | ||
Line 14: | Line 14: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: द]] | [[Category: द]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 13:03, 18 August 2022
- दूरापकृष्टि सामान्य व लक्षण
ला.सा./जी.प्र./120/161/9 पल्ये उत्कृष्टसंख्यातेन भक्ते यल्लब्धं तस्मादेकैकहान्या जघन्यपरिमितासंख्यातेन भक्ते पल्ये यल्लब्धं तस्मादेकोत्तरवृद्धया यावंतो विकल्पास्तावंतो दूरापकृष्टिभेदा:। =पल्य को उत्कृष्ट असंख्यात का भाग दिये जो प्रमाण आवै तातै एक एक घटता क्रम करि पल्यकौ जघन्य परीतासंख्यात का भाग दिये जो प्रमाण आवै तहाँ पर्यंत एक-एक वृद्धि के द्वारा जितने विकल्प हैं, ते सब दूरापकृष्टि के भेद हैं। - दूरापकृष्टि स्थिति बंध का लक्षण
क्षपणासार/ भाषा/419/500/15 पल्य/असं.मात्र स्थितिबंध को दूरापकृष्टि नाम स्थितिबंध कहिये।