अनंगक्रीडा: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(8 intermediate revisions by 4 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | | ||
< | == सिद्धांतकोष से == | ||
<p class="HindiText">= लिंग तथा भग या योनि अंग है। इससे दूसरे स्थान में | <span class="GRef">राजवार्तिक अध्याय 728,3/554/31 </span><p class="SanskritText"> अंगं प्रजननं योनिश्च ततोऽन्यत्र क्रीडा अनंगक्रीडा। अनेकविधप्रजननविकारेण जघनादन्यत्र चांगे रतिरित्यर्थः। </p> | ||
<p class="HindiText">= लिंग तथा भग या योनि अंग है। इससे दूसरे स्थान में क्रीड़ा व केलि सो अयोग्य अंग से क्रीड़ा है अर्थात् काम सेवन के योग्य अंगों को छोड़कर अन्य अंगों में वा अन्य रीति से क्रीड़ा करना सो '''अनंगक्रीड़ा''' है।</p> | |||
Line 12: | Line 13: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: अ]] | [[Category: अ]] | ||
[[Category: चरणानुयोग]] | |||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p> स्वदारसंतोष व्रत का एक अतिचार । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.174-175 </span>देखें [[ ब्रह्मचर्य ]]</p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> स्वदारसंतोष व्रत का एक अतिचार । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_58#174|हरिवंशपुराण - 58.174-175]] </span>देखें [[ ब्रह्मचर्य]]</p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 26: | Line 27: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: अ]] | [[Category: अ]] | ||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Latest revision as of 14:39, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
राजवार्तिक अध्याय 728,3/554/31
अंगं प्रजननं योनिश्च ततोऽन्यत्र क्रीडा अनंगक्रीडा। अनेकविधप्रजननविकारेण जघनादन्यत्र चांगे रतिरित्यर्थः।
= लिंग तथा भग या योनि अंग है। इससे दूसरे स्थान में क्रीड़ा व केलि सो अयोग्य अंग से क्रीड़ा है अर्थात् काम सेवन के योग्य अंगों को छोड़कर अन्य अंगों में वा अन्य रीति से क्रीड़ा करना सो अनंगक्रीड़ा है।
पुराणकोष से
स्वदारसंतोष व्रत का एक अतिचार । हरिवंशपुराण - 58.174-175 देखें ब्रह्मचर्य