गोवर्धन: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) एक श्रुतकेवली । ये महावीर निर्वाण के बासठ वर्ष के बाद सौ वर्ष की अवधि में हुए पांच आचार्यों में चौथे आचार्य थे । इन्हें ग्यारह अंगों और चौदह पूर्वों का ज्ञान था । <span class="GRef"> महापुराण 2. 141-142, 76.518-521, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 1. 61, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 1.41-44 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) एक श्रुतकेवली । ये महावीर निर्वाण के बासठ वर्ष के बाद सौ वर्ष की अवधि में हुए पांच आचार्यों में चौथे आचार्य थे । इन्हें ग्यारह अंगों और चौदह पूर्वों का ज्ञान था । <span class="GRef"> महापुराण 2. 141-142, 76.518-521, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_1#61|हरिवंशपुराण - 1.61]], </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 1.41-44 </span></p> | ||
<p id="2">(2) मथुरा के निकट का एक ग्राम । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20. 137 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) मथुरा के निकट का एक ग्राम । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#137|पद्मपुराण - 20.137]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) मथुरा के निकट का एक पर्वत । एक बार बहुत वर्षा होने पर कृष्ण ने गोकुल की रक्षा इस पर्वत को उठाया था । <span class="GRef"> महापुराण 70.430, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 35.48 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) मथुरा के निकट का एक पर्वत । एक बार बहुत वर्षा होने पर कृष्ण ने गोकुल की रक्षा इस पर्वत को उठाया था । <span class="GRef"> महापुराण 70.430, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_35#48|हरिवंशपुराण - 35.48]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
(1) एक श्रुतकेवली । ये महावीर निर्वाण के बासठ वर्ष के बाद सौ वर्ष की अवधि में हुए पांच आचार्यों में चौथे आचार्य थे । इन्हें ग्यारह अंगों और चौदह पूर्वों का ज्ञान था । महापुराण 2. 141-142, 76.518-521, हरिवंशपुराण - 1.61, वीरवर्द्धमान चरित्र 1.41-44
(2) मथुरा के निकट का एक ग्राम । पद्मपुराण - 20.137
(3) मथुरा के निकट का एक पर्वत । एक बार बहुत वर्षा होने पर कृष्ण ने गोकुल की रक्षा इस पर्वत को उठाया था । महापुराण 70.430, हरिवंशपुराण - 35.48