शिशुपाल: Difference between revisions
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<li>पाटली पुत्र का राजा था। (वी.नि.3) के पश्चात् इसके चतुर्मुख नाम का पुत्र हुआ, जो कि अत्याचारी होने से कल्की सिद्ध हुआ। | <li>पाटली पुत्र का राजा था। (वी.नि.3) के पश्चात् इसके चतुर्मुख नाम का पुत्र हुआ, जो कि अत्याचारी होने से कल्की सिद्ध हुआ। <span class="GRef"> (महापुराण/76/400) </span></li> | ||
<li>मगध देश की राज्य वंशावली के अनुसार यह राजा इंद्र का पुत्र व चतुर्मुख (कल्कि) का पिता था। यद्यपि इसे कल्कि नहीं बताया गया है, परंतु जैसा कि वंशावली में बताया गया है यह भी अत्याचारी व कल्की था। हूणवंशी तोरमाण ही शिशुपाल है। समय - वी.नि.100-1033 (ई.474-507) विशेष - देखें [[ इतिहास#3.4 | इतिहास - 3.4]]।</li> | <li>मगध देश की राज्य वंशावली के अनुसार यह राजा इंद्र का पुत्र व चतुर्मुख (कल्कि) का पिता था। यद्यपि इसे कल्कि नहीं बताया गया है, परंतु जैसा कि वंशावली में बताया गया है यह भी अत्याचारी व कल्की था। हूणवंशी तोरमाण ही शिशुपाल है। <br/>समय - वी.नि.100-1033 (ई.474-507) विशेष - देखें [[ इतिहास#3.4 | इतिहास - 3.4]]।</li> | ||
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< | <ol class="HindiText"> <li> कौशल नगरी के राजा भेषज और रानी मद्री का पुत्र । इसके तीन नेत्र थे । किसी निमित्तज्ञानी ने बताया था कि जिसके देखने से इसका तीसरा नेत्र नष्ट हो जावेगा वही इसका हंता होगा । एक बार इसके माता-पिता इसे लेकर कृष्ण के पास गये । वहाँ कृष्ण के प्रभाव से इसका तीसरा नेत्र अदृश्य हो गया । यह घटना घटते ही इसकी माता को कृष्ण के द्वारा पुत्र-मरण की आशंका हुई । उसने कृष्ण से पुत्रभिक्षा मांगी । कृष्ण ने भी सौ अपराध होने पर ही इसे मारने का वचन दिया । इसने अहंकारी होकर कृष्ण के विरुद्ध सौ अपराध कर लिये थे । इसके पश्चात् जांबवती को पाने के लिए कृष्ण और इसके बीच युद्ध हुआ । इस युद्ध में यह कृष्ण द्वारा मारा गया । <span class="GRef"> (महापुराण 71. 342-357), </span><span class="GRef"> ([[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_42#56|हरिवंशपुराण - 42.56]], 94, 50. 24), </span><span class="GRef"> (पांडवपुराण 12. 9-13) </span></p></li> | ||
< | <li>पाटलिपुत्र नगर का राजा । यह प्रथम कल्की का पिता था । <span class="GRef"> (महापुराण 76.398-399) </span></p></li> | ||
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Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- इसके साथ पहले रूक्मिणी का संबंध हो गया था। (हरिवंशपुराण/46/53) कृष्ण द्वारा रुक्मिणी के हर लिये जाने पर युद्ध में मारा गया। (हरिवंशपुराण/42/94)
- पाटली पुत्र का राजा था। (वी.नि.3) के पश्चात् इसके चतुर्मुख नाम का पुत्र हुआ, जो कि अत्याचारी होने से कल्की सिद्ध हुआ। (महापुराण/76/400)
- मगध देश की राज्य वंशावली के अनुसार यह राजा इंद्र का पुत्र व चतुर्मुख (कल्कि) का पिता था। यद्यपि इसे कल्कि नहीं बताया गया है, परंतु जैसा कि वंशावली में बताया गया है यह भी अत्याचारी व कल्की था। हूणवंशी तोरमाण ही शिशुपाल है।
समय - वी.नि.100-1033 (ई.474-507) विशेष - देखें इतिहास - 3.4।
पुराणकोष से
- कौशल नगरी के राजा भेषज और रानी मद्री का पुत्र । इसके तीन नेत्र थे । किसी निमित्तज्ञानी ने बताया था कि जिसके देखने से इसका तीसरा नेत्र नष्ट हो जावेगा वही इसका हंता होगा । एक बार इसके माता-पिता इसे लेकर कृष्ण के पास गये । वहाँ कृष्ण के प्रभाव से इसका तीसरा नेत्र अदृश्य हो गया । यह घटना घटते ही इसकी माता को कृष्ण के द्वारा पुत्र-मरण की आशंका हुई । उसने कृष्ण से पुत्रभिक्षा मांगी । कृष्ण ने भी सौ अपराध होने पर ही इसे मारने का वचन दिया । इसने अहंकारी होकर कृष्ण के विरुद्ध सौ अपराध कर लिये थे । इसके पश्चात् जांबवती को पाने के लिए कृष्ण और इसके बीच युद्ध हुआ । इस युद्ध में यह कृष्ण द्वारा मारा गया । (महापुराण 71. 342-357), (हरिवंशपुराण - 42.56, 94, 50. 24), (पांडवपुराण 12. 9-13)
- पाटलिपुत्र नगर का राजा । यह प्रथम कल्की का पिता था । (महापुराण 76.398-399)