सिंहसेन: Difference between revisions
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<li>पुन्नाट संघ की गुर्वावली के अनुसार आप सुधर्मसेन के शिष्य तथा सुनंदिषेण के गुरु थे।-देखें [[ इतिहास# | <li>पुन्नाट संघ की गुर्वावली के अनुसार आप सुधर्मसेन के शिष्य तथा सुनंदिषेण के गुरु थे।-देखें [[ इतिहास#7.8 | इतिहास - 7.8]]।</li> | ||
<li> | <li><span class="GRef">( महापुराण/59/ श्लोक</span>भरत क्षेत्र में सिंहपुर का राजा था (146) इनके मंत्री ने वैर से सर्प बनकर इसको खा लिया (193) यह मरकर सल्लकी वन में हाथी हुआ (197)। यह संजयंत मुनि का पूर्व का सातवाँ भव है।-दे.'[[संजयंत]]'।</li> | ||
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) भरतक्षेत्र में शकटदेश के सिंहपुर नगर क राजा । इसकी रानी रामदत्ता थी । इसने अपराधी अपने श्रीभूति पुरोहित को मल्लों के मुक्कों से पिटवाया था । पुरोहित मरकर इसी के भंडार में अगंधन सामक सर्प हुआ । अंत में इस सर्प के काटने से यह मरकर हाथी हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 59.146-147, 193, 197, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 27. 20-48, 53 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) भरतक्षेत्र में शकटदेश के सिंहपुर नगर क राजा । इसकी रानी रामदत्ता थी । इसने अपराधी अपने श्रीभूति पुरोहित को मल्लों के मुक्कों से पिटवाया था । पुरोहित मरकर इसी के भंडार में अगंधन सामक सर्प हुआ । अंत में इस सर्प के काटने से यह मरकर हाथी हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 59.146-147, 193, 197, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_27#20|हरिवंशपुराण - 27.20-48]], 53 </span></p> | ||
<p id="2">(2) तीर्थंकर अनंतनाय का पिता । यह अयोध्या नगरी का इक्ष्वाकुवंशी काश्यपगोत्री राजा था । इसकी रानी जयश्यामा थी । <span class="GRef"> महापुराण 60. 16-22, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 20. 50 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) तीर्थंकर अनंतनाय का पिता । यह अयोध्या नगरी का इक्ष्वाकुवंशी काश्यपगोत्री राजा था । इसकी रानी जयश्यामा थी । <span class="GRef"> महापुराण 60. 16-22, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#50|पद्मपुराण - 20.50]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) तीर्थंकर अजितनाथ के प्रथम गणधर । <span class="GRef"> महापुराण 48.43 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.346 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) तीर्थंकर अजितनाथ के प्रथम गणधर । <span class="GRef"> महापुराण 48.43 </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#346|हरिवंशपुराण - 60.346]] </span></p> | ||
<p id="4">(4) जंबूद्वीप में खगपुर नगर का एक इक्ष्वाकुवंशी राजा । इसकी रानी विजया थी । बलभद्र सुदर्शन इसका पुत्र था । <span class="GRef"> महापुराण 61. 70 </span></p> | <p id="4" class="HindiText">(4) जंबूद्वीप में खगपुर नगर का एक इक्ष्वाकुवंशी राजा । इसकी रानी विजया थी । बलभद्र सुदर्शन इसका पुत्र था । <span class="GRef"> महापुराण 61. 70 </span></p> | ||
<p id="5">(5) पुंडरीकिणी नगरी का राजा । इसने मेघरथ मुनिराज को आहार देकर पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे । <span class="GRef"> महापुराण 63.334-335 </span></p> | <p id="5" class="HindiText">(5) पुंडरीकिणी नगरी का राजा । इसने मेघरथ मुनिराज को आहार देकर पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे । <span class="GRef"> महापुराण 63.334-335 </span></p> | ||
<p id="6">(6) राजा वसुदेव और रानी बदती का कनिष्ठ पुत्र । यह बंधुषेण का छोटा भाई था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.62 </span></p> | <p id="6" class="HindiText">(6) राजा वसुदेव और रानी बदती का कनिष्ठ पुत्र । यह बंधुषेण का छोटा भाई था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_48#62|हरिवंशपुराण - 48.62]] </span></p> | ||
<p id="7">(7) लोहाचार्य के पश्चात् हुए आचार्य । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 66.28 </span></p> | <p id="7" class="HindiText">(7) लोहाचार्य के पश्चात् हुए आचार्य । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_66#28|हरिवंशपुराण - 66.28]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- पुन्नाट संघ की गुर्वावली के अनुसार आप सुधर्मसेन के शिष्य तथा सुनंदिषेण के गुरु थे।-देखें इतिहास - 7.8।
- ( महापुराण/59/ श्लोकभरत क्षेत्र में सिंहपुर का राजा था (146) इनके मंत्री ने वैर से सर्प बनकर इसको खा लिया (193) यह मरकर सल्लकी वन में हाथी हुआ (197)। यह संजयंत मुनि का पूर्व का सातवाँ भव है।-दे.'संजयंत'।
पुराणकोष से
(1) भरतक्षेत्र में शकटदेश के सिंहपुर नगर क राजा । इसकी रानी रामदत्ता थी । इसने अपराधी अपने श्रीभूति पुरोहित को मल्लों के मुक्कों से पिटवाया था । पुरोहित मरकर इसी के भंडार में अगंधन सामक सर्प हुआ । अंत में इस सर्प के काटने से यह मरकर हाथी हुआ । महापुराण 59.146-147, 193, 197, हरिवंशपुराण - 27.20-48, 53
(2) तीर्थंकर अनंतनाय का पिता । यह अयोध्या नगरी का इक्ष्वाकुवंशी काश्यपगोत्री राजा था । इसकी रानी जयश्यामा थी । महापुराण 60. 16-22, पद्मपुराण - 20.50
(3) तीर्थंकर अजितनाथ के प्रथम गणधर । महापुराण 48.43 हरिवंशपुराण - 60.346
(4) जंबूद्वीप में खगपुर नगर का एक इक्ष्वाकुवंशी राजा । इसकी रानी विजया थी । बलभद्र सुदर्शन इसका पुत्र था । महापुराण 61. 70
(5) पुंडरीकिणी नगरी का राजा । इसने मेघरथ मुनिराज को आहार देकर पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे । महापुराण 63.334-335
(6) राजा वसुदेव और रानी बदती का कनिष्ठ पुत्र । यह बंधुषेण का छोटा भाई था । हरिवंशपुराण - 48.62
(7) लोहाचार्य के पश्चात् हुए आचार्य । हरिवंशपुराण - 66.28