अनंतमती: Difference between revisions
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<p id="2">(2) एक आर्यिका । राजा प्रजापाल की पुत्री यशस्वती ने मामा के द्वारा किये गये अपने अपमान से लज्जित होने से उत्पन्न वैराग्य के कारण इन ही से संयम धारण किया था । <span class="GRef"> महापुराण 46.45-47 </span></p> | <p id="2">(2) एक आर्यिका । राजा प्रजापाल की पुत्री यशस्वती ने मामा के द्वारा किये गये अपने अपमान से लज्जित होने से उत्पन्न वैराग्य के कारण इन ही से संयम धारण किया था । <span class="GRef"> महापुराण 46.45-47 </span></p> | ||
<p id="3">(3) कौशांबी के राजा महाबल और उनकी रानी श्रीमती की पुत्री श्रीकांता की सहगामिनी । <span class="GRef"> महापुराण 62.351-354 </span></p> | <p id="3">(3) कौशांबी के राजा महाबल और उनकी रानी श्रीमती की पुत्री श्रीकांता की सहगामिनी । <span class="GRef"> महापुराण 62.351-354 </span></p> | ||
<p id="4">(4) चक्रवर्ती भरत की रानी, पुरूरवा | <p id="4">(4) चक्रवर्ती भरत की रानी, पुरूरवा भील के जीव मरीचि की जननी । <span class="GRef"> महापुराण 74.49-51 </span></p> | ||
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Revision as of 17:22, 12 December 2022
(1) राजा नंदिषेण की रानी, मणिकुंडल नामक देव के जीव वरसेन की जननी । महापुराण 10.150
(2) एक आर्यिका । राजा प्रजापाल की पुत्री यशस्वती ने मामा के द्वारा किये गये अपने अपमान से लज्जित होने से उत्पन्न वैराग्य के कारण इन ही से संयम धारण किया था । महापुराण 46.45-47
(3) कौशांबी के राजा महाबल और उनकी रानी श्रीमती की पुत्री श्रीकांता की सहगामिनी । महापुराण 62.351-354
(4) चक्रवर्ती भरत की रानी, पुरूरवा भील के जीव मरीचि की जननी । महापुराण 74.49-51