जीवाधिकरण: Difference between revisions
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आस्रव का प्रथम भेद । यह संरंभ, समारंभ और आरंभ से होता है । इन तीनों में प्रत्येक कृत, कारित, अनुमोदना के भेद से तीन-तीन तथा क्रोध, मान, माया, लोभ के भेद से चार-चार, इस प्रकार छत्तीस भेद होते हैं मनोयोग, वचनयोग, काययोग के भेद से इनके तीन-तीन भेद और करने से इसके कुल एक सौ आठ भेद होते हैं । हरिवंशपुराण - 58.84-85