कैवल्यपूजा: Difference between revisions
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<p> केवलज्ञान की पूजा । तीर्थंकरों को केवलज्ञान होने पर इन्द्र का आसन कम्पित होता है । वह अवधिज्ञान से तीर्थंकरों के कैवल्य को जानकर उनके पास सपरिवार आता है और उनकी पूजा करता है । इसी समय कुबेर समवसरण (प्रवचन-सभा) की रचना करता है । महापुराण 7.99, 22. 13-14, 315, 57.52.53</p> | <p> केवलज्ञान की पूजा । तीर्थंकरों को केवलज्ञान होने पर इन्द्र का आसन कम्पित होता है । वह अवधिज्ञान से तीर्थंकरों के कैवल्य को जानकर उनके पास सपरिवार आता है और उनकी पूजा करता है । इसी समय कुबेर समवसरण (प्रवचन-सभा) की रचना करता है । <span class="GRef"> महापुराण 7.99, 22. 13-14, 315, 57.52.53 </span></p> | ||
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Revision as of 21:39, 5 July 2020
केवलज्ञान की पूजा । तीर्थंकरों को केवलज्ञान होने पर इन्द्र का आसन कम्पित होता है । वह अवधिज्ञान से तीर्थंकरों के कैवल्य को जानकर उनके पास सपरिवार आता है और उनकी पूजा करता है । इसी समय कुबेर समवसरण (प्रवचन-सभा) की रचना करता है । महापुराण 7.99, 22. 13-14, 315, 57.52.53