नामकर्मक्रिया: Difference between revisions
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<p> गृहस्थ की त्रेपन क्रियाओं में सातवीं क्रिया । इसमें जिनेन्द्र के एक हजार आठ नामों में शिशु का कोई एक अन्वयवृद्धिकारी नामकरण होता है । क्रिया शिशु के जन्म-दिन से बारह दिन के बाद जो दिन माता-पिता और पुत्र के अनुकूल हो उसी दिन की जाती है । इस क्रिया में अपने वैभव के अनुसार अर्हन्त देव और ऋषियों की पूजा की जाती है । महापुराण 38.55, 87-89</p> | <p> गृहस्थ की त्रेपन क्रियाओं में सातवीं क्रिया । इसमें जिनेन्द्र के एक हजार आठ नामों में शिशु का कोई एक अन्वयवृद्धिकारी नामकरण होता है । क्रिया शिशु के जन्म-दिन से बारह दिन के बाद जो दिन माता-पिता और पुत्र के अनुकूल हो उसी दिन की जाती है । इस क्रिया में अपने वैभव के अनुसार अर्हन्त देव और ऋषियों की पूजा की जाती है । <span class="GRef"> महापुराण 38.55, 87-89 </span></p> | ||
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Revision as of 21:42, 5 July 2020
गृहस्थ की त्रेपन क्रियाओं में सातवीं क्रिया । इसमें जिनेन्द्र के एक हजार आठ नामों में शिशु का कोई एक अन्वयवृद्धिकारी नामकरण होता है । क्रिया शिशु के जन्म-दिन से बारह दिन के बाद जो दिन माता-पिता और पुत्र के अनुकूल हो उसी दिन की जाती है । इस क्रिया में अपने वैभव के अनुसार अर्हन्त देव और ऋषियों की पूजा की जाती है । महापुराण 38.55, 87-89