प्रत्यनीक: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
गोम्मटसार कर्मकाण्ड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/800/979/8 <span class="SanskritText">श्रुततद्धरादिषु अविनयवृत्तिः प्रत्यनीकं प्रतिकूलतेत्यर्थः । </span>= <span class="HindiText">श्रुत व श्रुतधारकों में अविनयरूप प्रवृत्ति का प्रतिकूल होना प्रत्यनीक कहलाता है । </span> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 19:13, 17 July 2020
गोम्मटसार कर्मकाण्ड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/800/979/8 श्रुततद्धरादिषु अविनयवृत्तिः प्रत्यनीकं प्रतिकूलतेत्यर्थः । = श्रुत व श्रुतधारकों में अविनयरूप प्रवृत्ति का प्रतिकूल होना प्रत्यनीक कहलाता है ।