वैशाख: Difference between revisions
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बृ. कथाकोष/कथा नं. 8/पृष्ठ-पाटलीपुत्र नगर के राजा विशाख का पुत्र था । सात दिन की नव विवाहिता पत्नी को छोड़ मित्र मुनिदत्त मुनि को आहार दान कर दीक्षा ले ली ।28। स्त्री मरकर व्यंतरी हुई, जिसके उपसर्ग के कारण एक महीना तक उपवास करना पड़ा । चेलना ने परदा डालकर आहार दिया । | बृ. कथाकोष/कथा नं. 8/पृष्ठ-पाटलीपुत्र नगर के राजा विशाख का पुत्र था । सात दिन की नव विवाहिता पत्नी को छोड़ मित्र मुनिदत्त मुनि को आहार दान कर दीक्षा ले ली ।28। स्त्री मरकर व्यंतरी हुई, जिसके उपसर्ग के कारण एक महीना तक उपवास करना पड़ा । चेलना ने परदा डालकर आहार दिया । अंत में मोक्ष पधारे ।29। | ||
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Revision as of 16:37, 19 August 2020
बृ. कथाकोष/कथा नं. 8/पृष्ठ-पाटलीपुत्र नगर के राजा विशाख का पुत्र था । सात दिन की नव विवाहिता पत्नी को छोड़ मित्र मुनिदत्त मुनि को आहार दान कर दीक्षा ले ली ।28। स्त्री मरकर व्यंतरी हुई, जिसके उपसर्ग के कारण एक महीना तक उपवास करना पड़ा । चेलना ने परदा डालकर आहार दिया । अंत में मोक्ष पधारे ।29।