शिखाचरण ऋद्धि: Difference between revisions
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देखें [[ ऋद्धि#4 | ऋद्धि - 4]]। | <span class="GRef">[[तिलोयपण्णत्ति]] अधिकार संख्या ४/१०४१-१०४३, १०४५, १०४७</span><span class="PrakritText"> अविराहिदूण जोवे अग्निसिहालंठिए विचित्ताणं। जं ताण उवरि गमणं अग्निसिहाचारणा रिद्धी ।१०४१।</span> <p class="HindiText"> अग्निशिखा में स्थित जीवों की विराधना न करके उन विचित्र अग्नि-शिखाओं पर से गमन करने को `अग्निशिखा चारण' ऋद्धि कहते हैं । अधिक जानकारी के लिए देखें [[ ऋद्धि#4 | ऋद्धि - 4]]।</p> | ||
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Revision as of 22:36, 27 December 2022
तिलोयपण्णत्ति अधिकार संख्या ४/१०४१-१०४३, १०४५, १०४७ अविराहिदूण जोवे अग्निसिहालंठिए विचित्ताणं। जं ताण उवरि गमणं अग्निसिहाचारणा रिद्धी ।१०४१।
अग्निशिखा में स्थित जीवों की विराधना न करके उन विचित्र अग्नि-शिखाओं पर से गमन करने को `अग्निशिखा चारण' ऋद्धि कहते हैं । अधिक जानकारी के लिए देखें ऋद्धि - 4।