अर्ह (सूत्र): Difference between revisions
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[[भगवती आराधना]] / [[विजयोदयी टीका]]/ गाथा संख्या ६७/१९४/१ अरिहे अर्हः योग्यः। सविचारभक्तप्रत्याख्यानस्यायं योग्यो नेति प्रथमोऽधिकारः।< | <p class="SanskritPrakritSentence">[[भगवती आराधना]] / [[विजयोदयी टीका]]/ गाथा संख्या ६७/१९४/१ अरिहे अर्हः योग्यः। सविचारभक्तप्रत्याख्यानस्यायं योग्यो नेति प्रथमोऽधिकारः।</p> | ||
<p class="HindiSentence">= अरिह - अर्ह अर्थात् योग्य। सविचारभक्त प्रत्याख्यान सल्लेखनाके लिए कौन व्यक्ति योग्य होता है और कौन नहीं, इसका वर्णन अर्ह सूत्र से किया जाता है। यह प्रथमाधिकार है।</p> | <p class="HindiSentence">= अरिह - अर्ह अर्थात् योग्य। सविचारभक्त प्रत्याख्यान सल्लेखनाके लिए कौन व्यक्ति योग्य होता है और कौन नहीं, इसका वर्णन अर्ह सूत्र से किया जाता है। यह प्रथमाधिकार है।</p> | ||
(विस्तारके लिए <b>देखे </b>[[[[भगवती आराधना]]]] / मुल या टीका गाथा संख्या ७१-७६)<br> | (विस्तारके लिए <b>देखे </b>[[[[भगवती आराधना]]]] / मुल या टीका गाथा संख्या ७१-७६)<br> | ||
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Revision as of 22:14, 24 May 2009
भगवती आराधना / विजयोदयी टीका/ गाथा संख्या ६७/१९४/१ अरिहे अर्हः योग्यः। सविचारभक्तप्रत्याख्यानस्यायं योग्यो नेति प्रथमोऽधिकारः।
= अरिह - अर्ह अर्थात् योग्य। सविचारभक्त प्रत्याख्यान सल्लेखनाके लिए कौन व्यक्ति योग्य होता है और कौन नहीं, इसका वर्णन अर्ह सूत्र से किया जाता है। यह प्रथमाधिकार है।
(विस्तारके लिए देखे [[भगवती आराधना]] / मुल या टीका गाथा संख्या ७१-७६)